क्रिकेट एक काफी लोकप्रिय खेल हैं और इस खेल को बड़े सक्त नियमो और खेल भावना के साथ खेला जाता हैं। इंटरनेशनल लेवल पर इस खेल को चलने बाली बोर्ड हैं आईसीसी जो की पुरे विश्व भर में हो रहे क्रिकेट की गतिविदियो पे नज़र रखती हैं। क्रिकेट के नियम काफी पहले ही बना दिए गए थे लेकिन इसमें समय के साथ साथ बदलाब होते रहते हैं।
फ़िलहाल क्रिकेट के नियमो के संरक्षक हैं “एमसीसी” जिन्होंने नियमो में कुछ बदलाब किए हैं। नए नियमो के अनुसार अब खिलाड़ी कभी भी गेंद पे थूक नहीं लगा पाएंगे क्यूंकि वो उन्होंने हमेशा के लिए बैन कर दिया हैं। ये नियम कोरोना के समय लाया गया था ताकि इस बीमारी का संचार नहीं हो सके। दुसरे नियम में ये बदलाब था की अगर कोई खिलाड़ी कैच आउट हो जाता हैं तो नया आया हुआ बल्लेबाज ही स्ट्राइक पे रहेगा भले दोनों बल्लेबाजों ने स्ट्राइक बदल भी ली हो।
इन नियमो में सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करने बाला नियम था की उन्होंने अब मैनकेडिंग को खेल भावना के विरोध से हटा दिया हैं और अब इसे रन आउट के तौर पे ही माना जाएगा। ये आउट करने का तरीका बहुत ही विवाद का चर्चा बना हुआ रहा हैं और कई लोग इसे सही मानते हैं तो कई लोग इसे गलत। ये उस प्रकार का रन आउट होता हैं जब नॉन स्ट्राइकर के तरफ बल्लेबाज़ गेंद फेकने से पहले ही क्रीज़ से बहुत बहार चला जाता हैं।
बहुत से खिलाड़ियों ने इसका उपयोग किया हैं और अश्विन का बटलर को आईपीएल में वो नॉन स्ट्राइकर पे रन आउट करना कौन भूल सकता हैं जब बटलर उस समय गजब की पारी खेल रहे थे मगर अश्विन ने उन्हें इस प्रकार आउट करने का सोचा और इसके कारण उनकी काफी आलोचना भी हुई।
इस नए नियम के बाद अलग अलग खिलाड़ी अपनी अलग अलग राय ला रहे हैं जहा कई खिलाड़ी इस नए नियम को सही मानते हैं तो वही कई खिलाड़ी या पूर्व खिलाड़ी इस नए नियम की निंदा करते हैं। क्रिकेट के भगवान कहे जाने बाले सचिन तेंदुलकर ने भी इस बारे में अपनी राय दुनिया के सामने राखी हैं। उनका मानना हैं की वो इन नए नियमो के पक्ष में और खास कर के मैनकेड बाले नियम के लिए क्यूंकि उन्हें इस तरीके से आउट दिए जाने को मैनकेड कहे जाने से बहुत दिक्कत थी। उन्होंने आगे कहा की वो इस बदलाब से बहुत खुश हैं और उनके हिसाब से इससे शुरू से ही रन आउट ही माना जाना चाहिए था इसीलिए ये सब के लिए अच्छी खबर हैं।
हालाँकि कई खिलाड़ियों के इसके खिलाफ उल्टा भी विचार हैं जहा वो इससे रन आउट गोषित करे जाने पे नाराज़ हैं और उनका मानना हैं की इसे खेल भावना के खिलाफ ही माना जाना चाहिए। इस ने नियम के आ जाने के बाद अब इस बारे में कोई विवाद नहीं होगा और जो भी गेंदबाज़ इसका इस्तेमाल करेंगे उनकी आलोचना नहीं होगी क्यूंकि ये अब नियम के अनुसार सही होगा।