किसी टीम की कमान उस टीम के कप्तान पर होती हैं और पूरी टीम उनके कप्तान पर काफी निर्भर होती हैं। कप्तान के ही देख रेख मे ही टीम खेलती हैं और उसे ही मैच मे बड़े बड़े निर्णय लेने होते हैं। उसे मैच के दौरान फील्ड लगाना या सही समय पर सही गेंदबाज का इस्तेमाल करना, कप्तान के अनेको काम होते हैं।
इसी कारण एक सही कप्तान का होना काफी जरूरी होता हैं और किसी को भी कप्तान बनाने से पहले कोई भी बोर्ड या सेलेक्टर काफी सोच विचार करते हैं और फिर उसके बाद ही किसी को कप्तान चुनते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के भी अनेको कप्तान रहे हैं मगर महेंद्र सिंह धोनी को भारतीय टीम का सबसे सफल कप्तान माना जाता हैं।
उन्होंने भारत को 3 आईसीसी ट्रॉफी जितायी और वो विश्व के एकमात्र कप्तान हैं जिन्होंने तीनो ही आईसीसी ट्रॉफी जीती हो। उनके समय मे टीम ने काफी अच्छा प्रदर्शन करा हैं और उनके ही समय मे 2010 मे हमारी टीम टेस्ट रैंकिंग मे पहली बार रैंक 1 पर आई थी। उन्होंने अपनी कप्तानी मे फैंस को खुश होने के काफी मौके दिए।
उनको पहली बारी टीम की कप्तानी 2007 मे मिली थी हालांकि उस समय कप्तान बनने के प्रथम दावेदर उस समय युवराज सिंह थे मगर उन्हे कप्तान नहीं बनाया और अभी तक इसका कारण नही पता चला था मगर बातचीत मे युवराज सिंह ने खुद बताया कि क्या कारण हो सकता हैं।
उन्होंने बताया कि उस समय चैपल बाला मामला हो गया था उस समय मैं उन खिलाड़ियों मे से एक थे जिन्होंने सचिन का साथ दिया था और इसी कारण शायद बीसीसीआई इसी कारण उनसे नाराज थी। उन्होंने आगे कहा की उनको इस चीज की निराशा नहीं हैं क्यूंकि अगर आज भी कोई ऐसी चीज होती हैं तो खिलाड़ी का ही साथ देंगे। उन्होंने कहा कि ये खबर सुनकर उनको हैरानी हुई क्यूंकि उस समय वो उप कप्तान थे।
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