भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अर्थात बीसीसीआई आगामी ओडीआई विश्वकप जो की इस साल के अंत तक भारत में ही आयोजित होने वाला है को लेकर गंभीर हुई है और उसके लिए योजना बनाना शुरू कर दिया है। बीसीसीआई ने रविवार को एक मीटिंग के दौरान पीछले खराब प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए कुछ बड़े फैसले लिए।
उनमें से एक फैसला भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर बीसीसीआई ने लिया। इस फैसले के अनुसार भारतीय टीम की स्क्वाड में शामिल होने के लिए भारतीय खिलाड़ियों को यो यो टेस्ट पास करना अनिवार्य कर दिया है। कोरोना के दौरान इस टेस्ट को रोक दिया था लेकिन अब इसे फिर से शामिल कर लिया गया है।
इसके साथ ही बीसीसीआई ने एक अन्य बदलाव करते हुए यो यो टेस्ट के साथ एक और डेक्सा टेस्ट खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में प्रतीत हो रहा है की बीसीसीआई खिलाड़ियों और विश्वकप को लेकर अब काफी गंभीर है। लेकिन यह जानना भी काफी उत्साहित है की वास्तव में यह दोनो टेस्ट है क्या.? इसके बारे में आपको विस्तार से बताते है।
योयो टेस्ट एक प्रकार का रनिंग टेस्ट होता है जिसमे खिलाड़ियों के शारीरिक प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें अंक दिए जाते है और 17 अंक से अधिक लाना अनिवार्य रहता है। इसमें खिलाड़ियों को 2 सेट की दौड़ लगानी होती है जिसकी दूरी लगभग 20 मीटर के आसपास होती है। यह टेस्ट 23 अंको का होता है।
वही अगर बात करे डेक्सा की तो यह खिलाड़ियों के शरीर की अंदरूनी जांच करने का एक स्कैन होता है। डेक्सा का मतलब डुअल-एनर्जी एक्स-रे एब्जॉर्पियोमेट्री होता है इसे बोन डेनस्टी टेस्ट भी कहते है। इसमें एक्सरे के माध्यम से खिलाड़ियों की शरीर की हड्डियों की मजबूती का स्कैन होता हैं। इससे खिलाड़ियों के शरीर में कितना फैट है, पानी की मात्रा और हड्डियों की ताकत जैसी चीजों के बारे में पता चलेगा।
